聖觀自在菩薩 · 百八名頌

文摘   2025-01-20 21:22   云南  

=== 愿 诸 见 闻 者  •  速 疾 成 佛 道 ===



聖觀自在菩薩百八名頌  ||  雲丹喜若 讀誦



अवलोकितेश्वराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

【 觀 自 在 百 八 名 頌 】


ॐ नमोऽवलोकितेश्वराय
嗡 禮 敬 觀 自 在

爾時一切如來又復雲集。為勸請具德執金剛一切法主觀自在菩薩摩訶薩故。說是一百八名頌曰。


पद्मसत्त्व महापद्म लोकेश्वर महेश्वर।
अवलोकितेश धीराग्र्य वज्रधर्म नमोऽस्तु ते॥
蓮華薩埵大蓮華   世自在王大主宰
觀自在王勝勇尊   稽首歸命金剛法

धर्मराज महाशुद्ध सत्त्वराज महामते।
पद्मात्मक महापद्म पद्मनाथ नमोऽस्तु ते॥
勝妙法王大清凈   大意最上勇猛王
大蓮華生蓮華身   稽首歸命蓮華尊

पद्मोद्भव सुपद्माभ पद्मशुद्ध सुशोधक। 
वज्रपद्म सुपद्माङ्क पद्मपद्म नमोऽस्तु ते॥
妙蓮華光蓮華生   蓮華清凈善凈者
金剛蓮華妙蓮身   歸命蓮華蓮華主

महाविश्व महालोक महाकाय महोपम। 
महाधीर महावीर महाशौरे नमोऽस्तु ते॥
勝大光明大巧業   廣大善喻大勝身
具大勇猛大無畏   稽首歸命大勤勇

सत्त्वाशय महायान महायोग पितामह।
शम्भु शङ्कर शुद्धार्थ बुद्धपद्म नमोऽस्तु ते॥
知有情心大乘法   相應法及大父祖
息災凈利寂靜生   稽首歸命覺華秀

धर्मतत्त्वार्थ सद्धर्म शुद्धद्धर्मं सुधर्मकृत्। 
महाधर्म सुधर्माग्र्य धर्मचक्र नमोऽस्तु ते॥
法真實義持正法   為清凈法善作法
是勝妙法大法門   稽首歸命正法輪

बुद्धसत्त्व सुसत्त्वाग्र्य धर्मसत्त्व सुसत्त्वधृक्। 
सत्त्वोत्तम सुसत्त्वज्ञ सत्त्वसत्त्व नमोऽस्तु ते॥
覺智大士妙勝勇   薩埵勝主法大士
一切最上妙勇尊   歸命勇猛勝大士

अवलोकितेश नाथाग्र्य महानाथ विलोकित। 
आलोकलोक लोकार्थ लोकनाथ नमोऽस्तु ते॥
觀照自在最上尊   普遍觀察大勝主
為世光明利世間   稽首歸命世自在

लोकाक्षराक्षर महा अक्षराग्र्याक्षरोपम।
अक्षराक्षर सर्वाक्ष चक्राक्षर नमोऽस्तु ते॥
世間文字大文字   最上文字字為喻
一切文字字中字   稽首歸命文字輪

पद्महस्त महाहस्त समाश्वासक दायक। 
बुद्धधर्म महाबुद्ध बुद्धात्मक नमोऽस्तु ते॥
蓮華手復廣大手   施者普令安隱者
即佛即法佛大尊   稽首歸命佛威德

बुद्धरूप महारूप वज्ररूप सुरुपवित्।
धर्मालोक सुतेजाग्र्य लोकालोक नमोऽस्तु ते॥
佛妙色相大色相   金剛色相善相者
大法光明勝妙光   稽首歸命世光耀


पद्मश्रीनाथ नाथाग्र्य धर्मश्रीनाथ नाथवान्। 
ब्रह्यनाथ महाब्रह्म ब्रह्मपुत्र नमोऽस्तु ते॥
蓮華吉祥尊勝主   法吉祥尊勝尊者
最上大梵梵中尊   稽首歸命梵生子

दीप दीपाग्र्य दीपोग्र दीपालोक सुदीपक।
दीपनाथ महादिप बुद्धदीप नमोऽस्तु ते॥
勝上法燈燈勝燈   發燈光明普照者
為光耀尊大照明   稽首歸命佛光相

बुद्धाभिषिक्त बुद्धाग्र्य बुद्धपुत्र महाबुध। 
बुद्धाभिषेकमुर्द्धाग्र्य बुद्धबुद्ध नमोऽस्तु ते॥
得佛灌頂最上覺   為諸佛子大覺智
大覺灌頂勝頂輪   稽首歸命覺中覺

बुद्धचक्षो महाचक्षो धर्मचक्षो महेक्षण।
समाधिज्ञानसर्वस्व वज्रनेत्र नमोऽस्तु ते॥
已具佛眼即大眼   復為法眼大觀視
三摩地智一切主   稽首歸命金剛眼

एवं सर्वात्मना गौणं नाम्नामष्टशतं तव। 
भावयेत् स्तुनुयाद्वापि लोकैश्वर्यमवाप्नुयात्॥
汝此一百八名贊   若人全身恭敬禮
或復觀想或稱揚   彼人當得世自在

《佛說一切如來真實攝大乘現證三昧大教王經卷第十八》調伏一切世間大曼拏羅廣大儀軌分第十五。西天譯經三藏朝奉大夫試光祿卿傳法大師賜紫沙門臣施護等奉詔譯。

大乘天 新号
每做吉祥事,常生欢喜心。
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