=== 愿 诸 见 闻 者 • 速 疾 成 佛 道 ===
अवलोकितेश्वराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
【 觀 自 在 百 八 名 頌 】
爾時一切如來又復雲集。為勸請具德執金剛一切法主觀自在菩薩摩訶薩故。說是一百八名頌曰。
पद्मसत्त्व महापद्म लोकेश्वर महेश्वर।अवलोकितेश धीराग्र्य वज्रधर्म नमोऽस्तु ते॥धर्मराज महाशुद्ध सत्त्वराज महामते।पद्मात्मक महापद्म पद्मनाथ नमोऽस्तु ते॥पद्मोद्भव सुपद्माभ पद्मशुद्ध सुशोधक। वज्रपद्म सुपद्माङ्क पद्मपद्म नमोऽस्तु ते॥महाविश्व महालोक महाकाय महोपम। महाधीर महावीर महाशौरे नमोऽस्तु ते॥सत्त्वाशय महायान महायोग पितामह।शम्भु शङ्कर शुद्धार्थ बुद्धपद्म नमोऽस्तु ते॥धर्मतत्त्वार्थ सद्धर्म शुद्धद्धर्मं सुधर्मकृत्। महाधर्म सुधर्माग्र्य धर्मचक्र नमोऽस्तु ते॥बुद्धसत्त्व सुसत्त्वाग्र्य धर्मसत्त्व सुसत्त्वधृक्। सत्त्वोत्तम सुसत्त्वज्ञ सत्त्वसत्त्व नमोऽस्तु ते॥अवलोकितेश नाथाग्र्य महानाथ विलोकित। आलोकलोक लोकार्थ लोकनाथ नमोऽस्तु ते॥लोकाक्षराक्षर महा अक्षराग्र्याक्षरोपम।अक्षराक्षर सर्वाक्ष चक्राक्षर नमोऽस्तु ते॥पद्महस्त महाहस्त समाश्वासक दायक। बुद्धधर्म महाबुद्ध बुद्धात्मक नमोऽस्तु ते॥बुद्धरूप महारूप वज्ररूप सुरुपवित्।धर्मालोक सुतेजाग्र्य लोकालोक नमोऽस्तु ते॥पद्मश्रीनाथ नाथाग्र्य धर्मश्रीनाथ नाथवान्। ब्रह्यनाथ महाब्रह्म ब्रह्मपुत्र नमोऽस्तु ते॥दीप दीपाग्र्य दीपोग्र दीपालोक सुदीपक।दीपनाथ महादिप बुद्धदीप नमोऽस्तु ते॥बुद्धाभिषिक्त बुद्धाग्र्य बुद्धपुत्र महाबुध। बुद्धाभिषेकमुर्द्धाग्र्य बुद्धबुद्ध नमोऽस्तु ते॥बुद्धचक्षो महाचक्षो धर्मचक्षो महेक्षण।समाधिज्ञानसर्वस्व वज्रनेत्र नमोऽस्तु ते॥एवं सर्वात्मना गौणं नाम्नामष्टशतं तव। भावयेत् स्तुनुयाद्वापि लोकैश्वर्यमवाप्नुयात्॥《佛說一切如來真實攝大乘現證三昧大教王經卷第十八》調伏一切世間大曼拏羅廣大儀軌分第十五。西天譯經三藏朝奉大夫試光祿卿傳法大師賜紫沙門臣施護等奉詔譯。